स्व. माणिकचंद वाजपेई "मामाजी" जन्म शताब्दी समारोह-2019, संपन्न

ग्वालियर / 12 अक्टूबर 19 को वरिष्ठ समाजसेवी, लेखक, पत्रकार एवं राजनीतिज्ञ स्वर्गीय माणिकचंद वाजपेई जी का जन्म शताब्दी वर्ष मनाया गया | 
7 अक्टूबर 1919 को बटेश्वर जिला आगरा उत्तर प्रदेश मैं श्री दत्त जी वाजपेई के घर जन्मे श्री मानिक चंद वाजपेई बेहद सहज सरल व्यक्तित्व के धनी थे | 1944 से 1953 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में भिंड के चप्पे-चप्पे में घूम कर राष्ट्रभक्ति का अलख जगाने वाले व भारतीय जनसंघ में 1951 से 1954 तक उत्तरी मध्य भारत में संगठन मंत्री के रूप में कार्य करने वाले तथा स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे के समकालीन रहे "मामाजी" ने राजनीतिक क्षेत्र में भिंड से श्री नरसिंह राव दीक्षित से विधानसभा में एवं 1962 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के विरुद्ध लोकसभा में चुनाव लड़ा था |
पत्रकारिता के क्षेत्र भिंड से प्रकाशित साप्ताहिक "देशमित्र" के संपादक के रूप में पत्रकारिता का प्रारंभ किया | दैनिक स्वदेश इंदौर से आप  स्थापना से ही जुड़े रहे | 
पत्रकारिता एवं साहित्य के क्षेत्र में भी आपकी अनगिनत उपलब्धियां हैं | साहित्य में "आपातकालीन संघर्ष गाथा" "प्रथम अग्नि परीक्षा" "भारतीय नारी स्वामी विवेकानंद की दृष्टि में" "कश्मीर का कड़वा सच" "पोप का कसता शिकंजा" "ज्योति जला निज प्राण की" तथा "मध्य भारत की संघ गाथा" आदि पुस्तके प्रकाशित हुई |
अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से समाज में एक प्रेरणादायक, महनीय स्थान प्राप्त करते हुए आपने 27 दिसंबर 2005 को ग्वालियर में महाप्रयाण किया |



मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, ग्वालियर हाल में व्याख्यानमाला समारोह के रूप में मनाया गया | कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री कप्तान सिंह सोलंकी (भोपाल) मुख्य अतिथि श्री बलदेव भाई शर्मा (धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश) एवं मुख्य वक्ता डॉक्टर संजय पासवान दिल्ली थे कार्यक्रम का संयोजन श्री दीपक सचेती ग्वालियरं श्री अतुल तारे एवं मानिकचंद वाजपेई मामाजी जन्म शताब्दी समारोह समिति ने किया |
इस अवसर पर "जनगणना- 2021, मुद्दे एवं चुनौतियां" विषय पर आयोजित व्याख्यानमाला में सभी प्रमुख अतिथि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये साथ ही "मामाजी" के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला |


इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे मुख्य वक्ता आदरणीय डॉक्टर संजय पासवान जी को अखिल भारतीय लोकभाषा की राष्ट्रीय मासिक पत्रिका संस्कृति संवाद भेंट करते हुए |