संविधान पीठ के समक्ष चैंबर में सिर्फ उन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया गया जो इस विवाद से संबंधित चार मुकदमों में पक्षकार थे।
न्यायालय में दायर 18 पुनर्विचार याचिकाओं में से नौ याचिकायें मूल पक्षकारों ने दायर की थीं जबकि शेष याचिकाएं तीसरे पक्ष ने दायर की थीं।
संविधान पीठ ने उन याचिकाओं पर विचार करने से इंकार कर दिया जो मूल वाद में पक्षकार नहीं थे। संविधान पीठ द्वारा इन पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार से इंकार किए जाने की वजह से इन याचिकाओं पर खुले न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध भी खारिज हो गया।
पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। जस्टिस खन्ना को छोड़कर बाकी सदस्य मामले में फैसला देने वाली संविधान पीठ का हिस्सा थे। जस्टिस खन्ना को 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हुए सीजेआई रंजन गोगोई की जगह शामिल किया गया है।
एआईपीएलबी के जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी याचिका को खारिज किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम अभी नहीं कह सकते कि हमारा अगला कदम क्या होगा। हम अपने वरिष्ठ वकील राजीव धवन से सलाह मश्विरा करेंगे।